Pahalgam Attack 2025: भारत-पाक तनाव और ताज़ा अपडेट | Full Report
22 अप्रैल को Pahalgam में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत। TRF की भूमिका, भारत की कार्रवाई और भारत-पाक तनाव पर जानिए हर अपडेट।
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Pahalgam Attack 2025 : क्या भारत-पाक के रिश्तों की अगली परीक्षा शुरू हो चुकी है?
वो शांत पहाड़ियां, अचानक गोलियों की गूंज — आखिर 22 अप्रैल को क्या हुआ?
22 अप्रैल 2025 की सुबह, जब बाइसरण घाटी में सैलानी सुकून की तलाश में निकले थे, शायद ही किसी ने सोचा होगा कि चंद मिनटों में ही ये जन्नत जैसी वादी एक खूनी मंजर में बदल जाएगी। आतंकियों ने बेधड़क आकर गोलियां चलाईं — 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, ज़्यादातर हिंदू पुरुष थे। करीब 20 लोग घायल हुए। इतने भयावह हमले की गूंज सिर्फ घाटी तक ही नहीं, दिल्ली, लाहौर और वॉशिंगटन तक पहुंच गई।
कौन थे हमलावर, और क्यों चुना गया ये टूरिस्ट पॉइंट?
घने चीड़ के जंगलों से घिरे इस इलाके में TRF (The Resistance Front) नाम के संगठन ने शुरुआती जिम्मेदारी ली। कहा गया कि यह हमला कश्मीर में ‘बाहरी लोगों की बस्ती’ बसाने की नीतियों के खिलाफ है। लेकिन, हैरानी की बात ये रही कि TRF ने 4 दिन बाद बयान बदल दिया — कहा गया कि ये ‘भारतीय एजेंसियों की चाल’ थी। सच्चाई क्या है, जांच एजेंसियों के पास है, लेकिन संकेत पाकिस्तान से संचालित नेटवर्क की ओर इशारा कर रहे हैं।
भारत की प्रतिक्रिया: क्या अब ‘सिर्फ़ बयान’ नहीं, जवाब होगा?
हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया। 1,500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ हुई, कई संदिग्धों के घर गिरा दिए गए। पाकिस्तान के साथ पानी का समझौता (Indus Waters Treaty) स्थगित कर दिया गया, दूतावासों के स्टाफ निकाले गए, वीज़ा बंद कर दिए गए।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान भी किसी औपचारिक प्रेस रिलीज़ जैसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी की तरह गूंजा —
"अब कोई भी आतंकवादी, या उनके पीछे खड़े चेहरे, ये न सोचें कि वो बच निकलेंगे। जवाब वैसा होगा, जैसा उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा।"
पाकिस्तान की सफाई: सच या बहाना?
पाकिस्तान ने हमेशा की तरह इस हमले से पल्ला झाड़ा। वहाँ के रक्षा मंत्री ने इसे “फॉल्स फ्लैग” बताया — यानि भारत द्वारा खुद किया गया हमला। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भी व्यापार बंद किया, समझौते रद्द किए और LoC पर गोलीबारी शुरू हुई। अब तक एक भारतीय सैनिक शहीद हो चुका है।
1 मई की रात: क्या युद्ध की आहट है?
ताज़ा जानकारी के अनुसार, पाकिस्तानी ISI ने अपने कट्टरपंथी नेताओं को सुरक्षा देनी शुरू कर दी है। उनका दावा है कि भारत “24–36 घंटे के भीतर” सर्जिकल स्ट्राइक कर सकता है। पाकिस्तान ने दो भारतीय ड्रोन गिराने का दावा भी किया है। उधर भारत ने 30 अप्रैल से 23 मई तक पाकिस्तानी उड़ानों पर बैन लगा दिया है।
मोदी सरकार ने सेना को “पूर्ण स्वतंत्रता” दी है — कब, कहां और कैसे जवाब देना है, इसका फ़ैसला अब फौज करेगी।
दुनिया क्या कह रही है?
अमेरिका, फ्रांस और संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है। UN प्रमुख गुटेरेस ने दोनों देशों से “संयम बरतने” की अपील की है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो भारत और पाकिस्तान — दोनों नेताओं से बात कर चुके हैं। फ्रांस ने भारत का समर्थन किया है।
भारत के भीतर की गूंज: राजनीति, जनता और पीड़ित परिवारों का दर्द
राहुल गांधी ने कानपुर में शहीदों के परिजनों से मुलाकात की और “शुभम द्विवेदी” को शहीद दर्जा देने की मांग की। वहीं कांग्रेस की एक पोस्ट को लेकर विवाद भी हुआ। असम में पाकिस्तान के समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट करने वालों को गिरफ्तार किया गया है।
सोशल मीडिया पर लोग गुस्से में हैं। एक महिला जो मुस्लिम थीं, उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया — उन्होंने कहा कि “जो दर्द उन्होंने देखा, उससे अंदर कुछ बदल गया।” वहीं, कुछ कश्मीरी शॉल विक्रेताओं को उत्तराखंड में मारा गया, जो समाज में उभर रही नफरत को दर्शाता है।
आर्थिक झटका: पर्यटन और शेयर बाज़ार की हालत
कश्मीर में 80% टूर बुकिंग्स रद्द हो चुकी हैं। 87 में से 48 पर्यटन स्थल बंद कर दिए गए हैं। CCTV और सुरक्षा बढ़ाई जा रही है। पाकिस्तान का स्टॉक मार्केट भी धड़ाम — सिर्फ 30 अप्रैल को 3,500 अंक गिर गया।
जांच कहां पहुंची है?
NIA वीडियो फुटेज और चश्मदीद सैनिक की मदद से हमले की ‘रिप्ले’ बना रही है। तीन संदिग्धों की पहचान हुई है — आदिल, अली भाई, और हाशिम मूसा। 60 लाख का इनाम घोषित किया गया है। एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, जिसकी सुनवाई 1 मई को होनी है।
कौन-कौन थे पीड़ित?
मारे गए लोगों में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, बंगाल, मध्य प्रदेश, नेपाल, और 10 से अधिक राज्यों के लोग शामिल थे। 25 हिंदू और 1 ईसाई श्रद्धालु थे — साफ है कि ये हमला धर्म के आधार पर भी निशाना बना सकता है।
सवाल जो अब हर भारतीय के मन में है…
क्या अब बात सिर्फ़ कूटनीति से सुलझेगी? या भारत अपने तरीके से जवाब देगा? क्या पाकिस्तान की बातों पर यकीन किया जा सकता है? और क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय सचमुच कोई ठोस कदम उठाएगा?
ये हम सबके लिए सोचने का वक्त है — क्योंकि ये हमला सिर्फ़ एक इलाका नहीं, पूरे देश की आत्मा पर वार था।